हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली | कुछ सुनेहरी यादे,मेरे संग पाँव पाँव चली || सफर धूप का किया,तो ये तजुर्बा हुआ | वो जिन्दगी ही क्या,जो छाँव छाँव चली || पता है सबको,जो पांड्वो का हश्र जुए में हुआ | द्रोपदी की इज्जत,भरे दरबार में दाँव दाँव चली […]
चम् चम् करतो चुड़ीलो माथा पे बोर बंद ….मालवी जाजम इंदौर में बिछी सावन की फुआरो के साथ ही मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी में मालवी जाजम बिछी और शहर के मालवी साहित्यकारों का जमावड़ा लगा | बादलो की गडगडाहट के साथ ही चमकती बिजली मानो आतिशबाजी और प्रक्रति का नजारा देखने लायक था | माह के अंतिम रविवार को बिछने वाली जाजम […]
