हार गए पर सोचते,हम जाएंगे जीत। दुश्मन को पचती नहीं,भगवा की ये रीत॥ बैठे-बैठे सोचते,चला नहीं कुछ खेल। चारों खाने चित्त हुए,चारों पप्पू फेल॥ मुँह ही की सब खा रहे,चलती फिर भी चोंच। सारे जग को हार रहे,नहीं बदलती सोच॥ सब विरोधी उखाड़ते,गड़ी हुई जो ईंट। साँप तो अब निकल […]

एक समय था गुरूजी जग में, आदर ही पाते थे। चरणों में जिनके दुनिया थी, वो पूजे जाते थे। भय था बच्चों को गुरूजी से, जाने कौन सजा दे। अब किनकी हिम्मत है इतनी, थप्पड़ एक लगा दे। भरी सभा में अब गुरूजी को, ऐसे तौल रहे हैं। ला दूँगा […]

सर्द रातों में ठिठुरती जिंदगी, फुटपाथ पर,मन्दिरों पर, स्टेशन पर… और उन तमाम जगह, जो बन जाता है उन यतीमों का आशियाना, जो तलाशते हैं थोड़ा-सा सुकून, थोड़ी-सी नींद उस खुले आसमान तले, जो बना देती है सर्द भरी रातों को बर्फ की तरह। जिसमें गुजारते हैं वो सभी अपनी […]

इस दुनिया में आए हैं हम, इसका भी कोई कारण होगा। इस दुनिया को तारने वाला, कोई तो एक तारण होगा॥ प्रतिभाएँ सभी में होती, हर जीव व जन्तु में। बिच्छू में क्यों डंक है पैनी, इसका भी कोई कारण होगा ? सुख-दुख जीवन के दो सत्य, एक आता,एक जाता […]

बैठे-बैठे राम श्री माता जानकी के साथ, गपशप बातों में कुछ यूं बतियाय रहे। बात-बात में ही जो प्रभु हिचकाय दिए, माता जी ने पूछा-प्रभु किसे याद आय रहे। प्रभु जी ने बोला-नई नहीं कोई बात यहाँ, आ गया चुनाव सभी जुमले लड़ाय रहे वोट बैंक बन गया नाम मेरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।