तुझसे ता-उम्र ही मेरी दूरी रही, जिंदगी की कहानी अधूरी रही। जाने क्यों फासले अपने कम न हुए, मेरी कोशिश तो हर वक्त पूरी रही। फर्क इतना रहा तुझमें मुझमें सनम, तू विकल थी औ मुझमें सबूरी रही। मैं तो झुक भी गया देख माहौल पर, तेरी जिद तेरी खातिर […]
काव्यभाषा
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