सिमट रही थी तेरे आगोश में प्यार पाने को मगर तेरी जुस्तजू तो कोई और थी निगाहे मिलाने से कशिश नहीं आती और दूर जाने से रौनके नहीं मिट जाती हमने प्यार में धोखा खाया जिसे समझा अपना उसे गैर पाया जिसको समझ रहे थे नाकारा उसे तो तुमने सर […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा