अन्तःकरण को गहराई तक भेदती हुई चीख़..आख़िर किसकी है ? ये चीख़ है उस अस्मिता की जो बार-बार, कह रही है कि मत करो मुझे तार-तार ये चीख़ है उस बेटी की जो कर रही है एक ही प्रश्न लगातार… कि,कब तक मैं तौली जाऊँगी भावनाओं के तराज़ू में कभी माँ,कभी […]

व्यासजी धर्म प्रवचनकर्ताओं में सबसे अग्रणी माने जाते हैं,सच्चे मार्ग दर्शक ही गुरु कहलाने के अधिकारी हैं,इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्कन्दपुराण-गुरुगीता प्रकरण में गुरु शब्द की व्याख्या करते हुए कहा गया है। ‘गुकारस्त्वन्धकारः स्याद् रुकारस्तेत उच्यते। अज्ञान ग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः॥’       […]

  नील सरोरुह बीच खड़ी। मणि,मुक्ता,माणिक की सी लड़ी॥ दीप्त वर्ण सुवर्ण चरी। नव कली भांति आभा निखरी॥ पुष्पभारनमिता कमणी। सद्यः स्नाता कमसिन रमणी॥ जब केशराशि लहराती है। ऐसा आभास कराती है॥ ज्यों नील गगन से श्यामा बदली। मानो बूंदें बरसाती है॥                 […]

-अकाल सूखता जिस्म, धरती की दरारें हत चेतन। झुलसी दूब, पानी को निहारते सूखे नयन। ठूंठ से वृक्ष, झरते हैं परिंदे पत्तों के जैसे। गिद्ध की आंखें, जमीन पर बिछीं वीभत्स लाशें। -बाढ़ एक सैलाब, बहाकर ले गया सारे सपने। उफनी नदी, डूबते उतराते सारे कचरे। मन की बाढ़, शरीर […]

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कहाँ गया वह पेड़, कहाँ है वह शाख। जिस पर दिखाई देती थी अर्जुन को चिड़िया की आँख॥ क्या काट दिया उस पेड़ को, लकड़हारों ने , या फिर चिड़िया को आने ही नहीं दिया बहारों ने॥ क्या अर्जुन लक्ष्य से भटक गया, क्या उसका बाण तुणीर में अटक गया॥ […]

स्त्रियों का विमर्श शुरू होता है पुरुषों के परामर्श से। जिसमें आदिकाल से स्त्रियों को बेचारी अबला या फिर देवी धात्री सर्वपूज्या कहा गया। नवदुर्गा में कन्या पूजा कर फिर उसे कोख में मार डालते हैं। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ अभियान चलाते हैं। मुँह अंधेरे बसों में,ऑटों में,कार में करते हैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।