खुद से रूबरू हो गए, लो फिर शुरू हो गए। कल तक जो बेहिज़ाब थे, आज वो आबरू हो गए। वफ़ा हमने की उनसे, और वो सुर्खरू हो गए। इज्जत बचाने निकले थे, रास्ते में बेआबरू हो गए। जमाने को पढ़ाने लगे, हम सब के गुरु हो गए।     […]

पैगाम… प्रीतम के पते पर भेजा, तो बादल डाकिया बन आ गया वृष्टिपत्र लेकर। प्रीतम ने जो लिखा प्रेम का अक्षर-अक्षर। बारिश की बूंदों में झरा वो झर झर झर ……। बूँदों का स्पर्श पाकर, काया में सिहरन हुई। आज फिर विरह में तड़पकर, प्रेमाग्नि चेतन हुई। मीठा-मीठा दर्द उठ […]

वन अशोक में ऋतु बसन्त यूँ , बारह मासों रहता था। मध्य भाग में नीलवर्णी जल, तिरछा टेढ़ा बहता था॥ एक लक्ष अशोक वृक्ष से, घिरा हुआ वह कानन था। कमनीय लता से आच्छादित वहाँ, सघन स्वच्छ इक कुंजन था॥ कोकिल,शुक,सारिका,मयूरः, चक्रवाक ,सारस ,हंसा। जलक्रीड़ा,कलरव, विहार, करते तड़ागों में निःसंसा॥ […]

हे शिव शम्भू इस श्रावण में कैसे तेरा गुण गान करुं। भक्तों की लाशों पर चढ़कर कैसे तुझे प्रणाम करुं॥ निर्दोषों की बलि चढ़ाकर अत्याचारी मुस्काते हैं। तेरे मंदिर के रस्ते में मासूम गोली से भूने जाते हैं। हे शिव शंकर आतंकी मंसूबों को कैसे नाकाम करुं। भक्तों की लाशों […]

रथविहीन हूँ हे गिरधर,क्या तारणहार बनोगे तुम। बीच भंवर में नैया है,क्या अब पतवार बनोगे तुम॥ कालिंदी के कुल,कदम्ब की डाल पे बंशी बजाओगे। या चक्र सुदर्शन धार पातकी का संहार बनोगे तुम॥ कोदण्ड उठाकर अब फिर से,क्या दाशरथि तुम आओगे। दसकन्धर के अट्टाहास से क्या मुक्ति दिलवाओगे॥ शर-संधान चाप […]

1

‬अन्तःस्थल में उठती भाव रुपी लहरें, जब अनवरत हिलोरे खाती है। तब मानस पटल पर सहसा ही, कविता अंकित हो जाती है। हो जाए तो क्षण भर में ही, अन्यथा लम्बी यात्रा करवाती है। कभी कल्पना की उड़ान के साथ तो कभी निज अनुभवों को गाती है। कभी किसी दूसरे […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।