खड़गपुर में ये हो क्या रहा भगवान नर्वस हो रहे बड़े बलवान अबूझ हो रहे एस्ट्रोलॉजर टेंपरेचर जा रहा चालीस के ऊपर दिल्ली में भी नई ऐसा गर्मी लगता है पड़ जाएगा मिर्गी खाना कम पानी एक गुंडी फिर भी घूमते रहता मुंडी दिगाग में रहता हरदम टेंशन क्योंकि जून […]

मैं जिस शहर में रहता हूं इसकी एक बड़ी खासियत यह है कि यहां बंगलों का ही अलग मोहल्ला है। शहर के लोग  इसे बंगला साइड कहते हैं। इस मोहल्ला या कॉलोनी को अंग्रेजों ने बसाया था। इसमें रहते भी तत्कालीन अंग्रेज अधिकारी ही थे। कहते हैं कि ब्रिटिश युग […]

मां कसम … क्या गरम है रे भाई… अच्छा नहीं लगता मक्खन मलाई दो रोटी भी खाना मुश्किल बदन करता पसीना से पिलपिल पंखा का हवा बदन में नहीं लगता पाड़ा में अड्डा मारने से घर वाली चिल्लाता छत में सोने से मच्छर काटता… मां कसम क्या गरम है रे […]

जमाने की न जाने , ये कैसी बयार है… नेपथ्य में नायक, मगर खलनायकों की बहार है नाम से ज्यादा बदनामी की पूछ बजता डंका जोरदार है… नेक माने जा रहे बेवकूफ धूर्त – बेईमानों की जय – जयकार है अग्निपथ पर चलने वाले संघर्षशील कहला रहे बोरिंग हिस्ट्रीशीटरों की […]

वातानुकूलित कमरों में बैठ कर चिंतन – मनन करने वाले खाए – पीए और अघाए नेता के लिए लोगों की मुश्किलों को समझ पाना वैसा ही है मानो शीतल वादियों के आगोश में रहने वाला कोई शख्स तपते रेगिस्तान की फिक्र करे। ट्रेनों में आपात कोटे के आरक्षण के लिए […]

देश की संस्कारधानी कोलकाता पर गर्व करने लायक चीजों में शामिल है फुटपाथ पर मिलने वाला इसका बेहद सस्ता खाना। बचपन से यह आश्चर्यजनक अनुभव हासिल करने का सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है । देश के दूसरे महानगरों के विपरीत यहां आप चाय – पानी लायक पैसों में खिचड़ी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।