हाँ! बिल्कुल महाकुम्भ-सा जिसके आस-पास तैरता है प्रेम जिसके आस-पास घूमते है शब्द जिसके आस-पास मंडराती है आत्मा समान पर्वत के विशालकाय, जिसने निश्चलता को जिया है जो किया वही तो कहा है वही उसने लिखा है आत्मा भी जिसकी बोझ विहीन शरीर पर कोई लबादा नहीं है तमगे कोई […]

जब लगातार नेतृत्व की अस्वीकार्यता उभर कर आ रही हो, जब सम्पूर्ण राजनैतिक हलके में साख गिरती नज़र आ रही हो, जब परिवार के कारण पार्टी की फजीहत हो रही हो, जब संगठन की विफलता मुँह बाहे खड़ी हो, जब सार्वभौमिक रूप से नकारा जा रहा हो, जब अपने ही […]

किसी कवि की इच्छा शक्ति के सहारे उसकी सर्वोत्तम कविता का किसी अखबार या पत्रिका में छप जाना, उसके लिए मानदेय मिल जाना, किसी पुरस्कार के लिए चयनित हो जाना या किसी प्रकाशक की मेज पर पहुंच कर किताब की शक्ल में पाठक दरबार की हाजरी लगा जाना भर ही […]

जब हर तरफ रचनाकारों का शौर है, हाहाकार मचा हुआ है हिन्दी के लेखकों का, कवियों की भरमार है, हजारों लघुकथाकार और कहानीकार है, रोज नया सृजन हो रहा है, सैकड़ों रचनाएँ रोज लिखी जा रही है, साहित्य की समृद्धता की ओर कदम दिन-प्रतिदिन बढ़ रहें है, प्रकाशन की क्रांति […]

जब अर्द्धनग्न शरीर पर कोड़े बरसाएं जा रहें हो, लोहे के सरिये से पीटा जा रहा हो, चमड़े के पट्टे स्त्री की देह नोचते हुए उसे अपराधी सिद्ध करने पर आमादा हो, गुनाह और बेगुनाही के बीच सच्चाई झूल रही हो, जब स्त्री की चीखें उसे विवशता की ओर धकेल […]

  भारत जैसे जनतांत्रिक देश में इस समय एक पर्व मनाया जा रहा है जिसे आम चुनाव कहते है। इस पर्व का उत्साह तो राजनैतिक लोगों और जनता दोनों में है। किन्तु इस बार यह आम चुनाव कुछ खास है, क्योंकि यहाँ एक तरफ तो सत्ता पक्ष की हाहाकार है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।