काशी,काबा, तीर्थ है माता, शुद्ध प्रेममयी स्नेहिल माता। माता से नाता अति अनुपम, सबसे प्यारी मधुरिम माता।। मृदु पुष्पों से भरी मृदुलता, दिनमणि जैसी भरी प्रखरता। गंगाजल–सी है माँ पावन, वाणी में अति भरी मधुरता।। माँ की गोद में देव भी विह्वल, मैया की ममता है अविरल। सागर–सी गहराई है […]
shukla
सुधी साहित्यकार डॉ0 मृदुला शुक्ला “मृदु” की काव्य-कृति शतदल का मैंने गहन अवलोकन किया। इस कृति में 100 स्फुट रचनाएँ हैं। अर्थात मुक्तक कवितारूपी 100 पंखुड़ियाँ हैं, जो भक्ति-भावना,प्रेम-भावना,राष्ट्र-प्रेम एवं नैतिकतापूर्ण भावनाओं से ओत-प्रोत हैं। कवयित्री के द्वारा जिन वैविध्य विषयक भावों को जिस सहजता एवं सौष्ठव के साथ प्रस्तुत […]