बहुत वक़्त गुज़रा है, वक़्त को तराशते हुए। घुप्प अँधेरे में माचिस, तलाशते हुए।। अब नहीं है वक़्त कि, ख़ुद को शो-पीस बना लें। अब सही वक़्त है कि ख़ुद को माचिस बना लें।। ताकि जल सकें मोमबत्तियाँ,जल सकें मशालें। ताकि लौट जे आ सकें ,फिर से उजालें।। बहुत ज़रूरी […]
priti
दिल में कुछ,दबा-सा है, कुछ अटखेलियाँ,कुछ नादानियाँ.. गुज़री बातों की कुछ निशानियाँ, वक्त जैसे कुछ,रुका-सा है.. दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ ख़्वाहिशें,कुछ आशाएँ, कुछ हैरानियाँ,कुछ परेशानियां.. कोई शूल जैसे,चुभा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ सपने,कुछ उम्मीदें, कुछ अलसाई-सी वो नींदें.. मन में कुछ,छुपा-सा है, दिल में कुछ,दबा-सा है…। कुछ […]