तुम्हारी एक अलग पहचान है. बैठे हो ऊपर शिखर के यही कारण है आगे हो सबसे,पर अनिकट भी उतने हीl मुझे नहीं भाती दूरी, चलना इतनी गति से कि,पीछे छूट जाएं सबl चढ़ा था एक दफा, पारसनाथ पहाड़ पर देखा नीचे सब धुँधला-सा दिखा भयभीत हूँ तब से ऊँचाइयों सेl […]

  हंसना भी सीखा, रोना भी सीखा। सीखा है पाना भी, सीखा है खोना भी।   अपनों को खोया है, सपनों को खोया है। लेकिन जीतने की जिद, न मुझे झुका सकी न मुझे डिगा सकी।   मैं भी बढ़ता गया, कारवां बनता गया। लोग अपने बने, कुछ पराए हुए। […]

मानते रहे वसुंधरा कुटुम्ब के समान, आदिकाल से तभी लगे रहे सुधार में। भारतीयता करे विकास विश्व में अतीव, ध्यान दें सभी इसी सुलक्ष्य के प्रसार में। युद्ध को चुना नहीं चुना पवित्र प्रेम पंथ, भावना विनाश की न आ सकी विचार में। किन्तु मारना उन्हें रहा सदैव आर्य धर्म, […]

1

दुःस्वप्न, संबंधित दुःख से, `दर्द` से जिए जाओ सर्द से। सदा कोई उलझन सदा कोई परेशानी। मिलती तो सही, खुशी कोई अनजानी पर नहीं, कुछ भी नहीं,कहीं भी नहीं। बस, ? दर्द से भरी कराहें…. कि सुन न सके,कोई मेरी आहें। किसी तक न पहुँच सके ये आवाज़, किसी को […]

एक पहेली स्त्री…, जलाया स्वयं को जिसने जग उज्जवल किया चन्द्रकलां की भाँति वही तो है उस दीपक की बाती l सैंतकर स्वयं में जिसने तुम्हें तुमको दिया l वही तो है, कोख भीतर जिसके तुमने वस्त्रहीन कुछ पल जिया l चंद्रप्रभा से निर्मित, जिसके आंचल शीतल वही तो है, […]

यदि दुख में दिखता कोई भी, उसके दुःख से भर जाता। देख दूसरे की सुख-सुविधा, अनायास ही सुख पाता। देख सका कवि कहो भला कब, किसी व्यक्ति की भी पीड़ा। औरों की व्यथा लिखा करता, जन बीच उसी को गाता। कितना हो मीठा फल लेकिन, उसको वह वृक्ष न खाता। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।