आज सारी दुनिया के देश मातृभाषा दिवस मना रहे हैं। 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस क्यों मनाया जाता है ? क्योंकि यूनेस्को ने इसे 1999 में मान्यता दी थी। 21 फरवरी को इसलिए मान्यता दी गई क्योंकि इसी दिन 1952 में पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के नौजवानों ने अपनी मातृभाषा […]

‘रिश्ते’ भी ‘रिसते’ हैं, ज्यों पुराने दर्द पुरवैया में टिसते हैं। और तब…उद्वेलित मन में, सागर तरंग-सा अनवरत विगत अनुकूलता के क्षण विवेचनात्मक चिन्तन के भँवर बीच उठते और गिरते हैं॥ प्रचलन से हटे हुए नोट-सा, हारे हुए नेता को किसी वर्ग विशेष का अधिक प्रतिशत प्राप्त वोट-सा, रिश्ता…निरर्थक  हो […]

मन के तार को जब छूते हैं प्रीत मीत के स्वर लहरी। या कि विकल समाधान को कोई पीड़ा होती है गहरी॥ वेगवती नदी बरसाती-सी वह अल्हड़ रुकती नहीं कहीं। ऐसी उर की उद्दाम तरलता होता सच्चा संगीत वहीं॥  भर जाता आनन्द असीम रोम-रोम पुलकित होते। मधु मिश्रित मलयानिल-सा मधुर […]

अश्रू नयन के मोती हैं, नाहक नहीं गिरा  लेना। गहन वेदना के मरहम हैं, काम है मन सहला देना॥ ये पीड़ा के नहीं पक्षधर, हैं पीड़ित के बेबस हथियार। निकले नयन से मन मथकर, आँसू व्यथित हृदय के भार॥ हृदय-घाव पर उठे फफोले, वाष्पीकरण होकर गिरते। निकले जहाँ दर्द वही […]

ऐसा लगता है कि,उत्तराखंड की सरकार को मूर्खता का दौरा पड़ गया है। जो मूर्खता वह करने जा रही है,वह भारत में आज तक किसी भी सरकार ने नहीं की है। मज़े की बात है कि,उत्तराखंड में भाजपा की सरकार है। अब उत्तराखंड के १८००० सरकारी स्कूलों में सारे विषयों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।