जय अंबे, जय जगदम्बे   ,माता शेरों वाली। रे मन! ले जा उन गलियों में मुझे, जहाँ रहती ज्योतावाली।। है वो ही सुख दायिनी मैया, दुविधा हरने वाली। नेत्रहीन की आंखों में भी, नवज्योति भरने वाली।। रे मन! ले जा उन गलियों में….. जय अंबे, जय जगदंबे, माता शेरों वाली। रे […]

       एक समय की बात है ,एक गांव में रोहन और मोहन नाम के दो लड़के रहते थे और दोनों एक ही विद्यालय में पढ़ते थे ।रोहन  बचपन से ही अपने मित्रों की चीजें चुराता था,उसकी मां और पिता ने उन चीजों को देखा पर उन्होंने कभी भी […]

 काठ- लोह ना स्वर्ण -रजत का है मेरा सिंहासन, कलम -स्याह के आसन बैठ करता हूं मैं शासन । नीले काले स्याह से लिखता, प्यार मोहब्बत की बातें । प्रिय -प्रेयसी के बढ़े, धड़कन की जज्बातें। जन -समाज की  पुकार सुन , दौड़ा चला आता हूं । शब्द सुमन अर्पित […]

  कुछ अर्थों को न खोजें तो बेहतर कुछ कार्यों की कारणता को न तलाशें तो बेहतर कुछ खुरदरे से अहसासों को न तराशें तो बेहतर कुछ बेतकलुफ़्फ़ से दरियाओं की मंजिल न समझे तो बेहतर रूबरू हो रहे नित नये क़िरदारों की वजहें न जानना चाहें तो बेहतर ज़िंदगी […]

हे मानव उठो जागो मुश्किलों को दूर करो राहें कंटीली पर रूकना नहीं लाख बेडियाँ सही पर झुकना नहीं संघर्ष करो हाँ ! संघर्ष करो संघर्षों से निखरा जीवन विजय पाता कठिनाइयों पर भ्रष्टाचार मिटा दो पढ़ा दो पाठ नैतिकता का सदाचार अपनाओ हिम्मत से बढ़ो सही राह पर राहें […]

निज हिन्दी की शान बढ़ाना मधुर बोल ही तुम अपनाना देखो बातें बहुत हुई अब नीति अमल में लेकर आना। आगे आकर सभी सिखाओ। मान राष्ट्रभाषा दिलवाना।। सबको शिक्षित करके अपने। भारत का सम्मान बढ़ाना ।। आओ हिंदी की सेवा में। कर्म महान हमें कर जाना।। मस्तक की बिन्दी लगती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।