बहर :- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फायलुन 2122 2122 212 रदीफ़ :-सीखिए काफ़िया :-आना अपने अश्क़ो को छिपाना सीखिए गर्दिशों से दिल लगाना सीखिए।। है बहुत दिल को दुखाने के लिए शहर भर को आज़माना सीखिए।। ज़िन्दगी उलझन में ही उलझी रही हाथ सबसे ही मिलाना सीखिए।। हो गया कमज़र्फ दिल सबका […]

ग़र इंसां का पता नही होता। ज़िंदगी भी ज़िया नही होता। पता नही होता। ज़िंदगी भी ज़िया नही होता। वो सफ़र में मिला नही होता। दर्द मेरा हरा नही होता। ज़िंदगी की पतंग भी उड़ती। डोर से फ़ासला नही होता। दौलत ही चीज़ ऐसी होती हैं। क्या इंसां में नशा […]

तेरी मेरी बात होगी यादों की बारात होगी झूमें गाएं साथ सबके अब नबी की नात होगी यूँ महक उठेगा तन मन जब मिलन की बात होगी मौज़ में है आज वो भी दाल -रोटी -भात होगी देखें जब भी हम पिया को वो सुहानी रात होगी हाथ सर पे […]

आँगन में आ गई दुपहरी हवा हो गई सुर्ख़ सुई सी पेड़ के पत्ते भी सूख रहे चकमक चकमक धूप रूई सी अलसाये पत्ते डोल रहे भेद मौसम का खोल रहे ठंडी हवा कूलर बन बैठी पक्षी भी ये बोल रहे हाड़ तोड़ गर्मी है पड़ती कमरतोड़ काम को लादे […]

मेरे ख़ामोश लबो को पहचान जाता हैं।। हर सच्चा दोस्त दोस्ती में याद आता हैं।। खूब परवाह एक दूसरे की करते सभी हैं।। मुसीबत में सिर्फ दोस्त ही नज़र आता हैं।। वो साथ बिताये पल भी खूब याद आते हैं।। स्कूल,कॉलेज हर जगह दोस्त बन जाते थे।। दोस्तों के टिफ़िन […]

वो भी ग़म को ही हवा  देते हैं।। हम ख़ुशी को ही भुला देते हैं।। मेरे वो राज़ से भी है वाकिफ़।। लोग  मिलके  ही  दग़ा देते हैं।। आरज़ू है दिलों को जोड़ने की।। हम भी ग़म को ही भुला देते हैं।। ज़ात  धर्मो  की सियासत में ही।। वो   हमें  […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।