हर पल जो मस्ती में झूमे,वह मधुमास कहां से लाऊं। जो प्रीतम का द्वार न छोड़े,ऐसी प्यास कहां से लाऊं।। मधु–सरिता रस घोला करती, संग हवा के डोला करती.. झिंगुर गाते गीत सुहाने, नदिया के तट मीत पुराने.. मेरा मन आह्लादित कर दे,वो अहसास कहां से लाऊं, हर पल जो […]

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रुठे चेहरे पर बिखरी है उदासी। दूर कहीं हंसी उड़ी है हवा-सी।। तन्हाई ने घेरा है चारों तरफ से। अन्धेरा-सा बिखरा है उम्र दराज से।। खुशहाल ज़िंदगी पर विराम है उदासी। न है खुशी की इक झलक जरा-सी।। सुनहरी किरणों से अब रहा न कोई वास्ता। उदासी ने रोका है […]

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किसी से वो कभी मिलता नहीं है, मुहब्बत को अभी समझा नहीं है। मुझे देखे हिकारत की नजर से, कि जैसे प्यार का रिश्ता नहीं है। सुख़नवर बन गया उसके लिए मैं, मगर इक शेर भी भाया नहीं है। रहेगी यार मेरी आरजू ये, तुझे पाए बिना जीना नहीं है। […]

चैत्र में पड़े समय के नव-चरन। प्रत्युष बेला में मेरा शत-शत नमन।। चौकड़ी भरता चलता रश्मि-रथी। नित नव चमक रहती प्रभात के क्षण।। यंत्रवत पथ के कारज करता चलता। संवत्सर सृष्टि चक्र का अनूप प्रबन्धन।। आर्य संस्कृति की ध्वजा तले तपोनिष्ठ। श्रेष्ठ वृत्ति,विमल कीर्ति का हो वरण।।  #विवेकानन्द बिल्लौरे (व्ही.एन.बी) […]

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मचानी हो तो धूम मचाओ, लेकिन बेटी बचाओ.. चाहे उसे सोना न दिलाओ, लेकिन बेटी बचाओ। चाहे उसे नाच नचाओ, लेकिन बेटी बचाओ.. चाहे उसकी मांगे भगाओ लेकिन बेटी बचाओ। चाहे उसे कम पढ़ाओ, लेकिन बेटी बचाओ.. चाहे उसे दूध न पिलाओ, लेकिन बेटी बचाओ। चाहे उसे पायल न पहनाओ, […]

नव संवत-नव भाव दे..नवदुर्गे नव शक्ति, नव रात्री की नौ निशा ..देंवे नवधा भक्ति। देवें नवधा भक्ति..राम सों नेह बढ़ाओ, निखरे शुचित चरित्र..दर्श नवमीं के पाओ। कह अनुपम आलोक..बैठ विद्वत की संगत, खुशियाँ मिलें अनंत..लाभ-शुभ दे नवसंवत।                           […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।