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उलझनों के झुनझुने में अटकी, किसी चौराहे पर.. मेरे ही खिलाफ चौरंगी सी खड़ी, यह औढर जिंदगी। क्या पता किस ओर करवट ले जाए, किस ओर नहीं, या फिर बढ़ चले सन्नाटे को चीरती हुई मृग मरीचिका.. लिए हुए,बेमतलब के ख्वाब दिखाते हुए,बेपता है यह, देखा है कि,इसने जो भी […]

हे रंग आज बरस तू बादल बनकर,,, अंग भिंग जाये तुम्हे कही सुनकर,,, लाल भी आये तुम्हारे गालो के लिए छुपकर,,, नीलले काले भी गिरे आज रुक रुककर,,, गोरी गाल ना छिपाये हमे शर्माकर,,, झरोखों की दिशाएं हर को ले जाये बहाकर,,, हे रंग आज बादल बन बरसना हमपे आज […]

रंग दिखलाऊँ अब कौन-सा, दर्शाएगा जो मेरी छवि को.. भड़कीला ज्यादा ना लगे जो भा जाए हर एक किसी कोl . रंग कहूँ सूरज-सा मुझको, भाता है रातों में तो क्या.. कहूँ जो धोया काला रंग, दौड़ता है दिन में तो क्याl . सच तो है एक रेखा पीली-सी, भाती […]

फागुन का महीना है,उड़ रहा है अबीर, होली का पर्व है रे,मनवा हुआ अधीरl चले पिचकारी सारा रा, होली है आरा रारा राl इस होली के पर्व को,बड़े मौज से मनाएँ, होली होय गुलाल की,पानी ाएँ उड़े गुलाल सारा रा होली है आरा रारा रा — होली के रंगों से […]

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ये हमारी आँख का बहता हुआ जल, है अधूरे इक समापन की कहानी..। दो किनारे बन गए हम इक नदी के, जो कि लहरों से सदा संवाद करते..। आस की कोई न कश्ती दिख रही थी, फिर भला क्यूँ व्यर्थ हम अनुनाद करते..। क्या नहीं स्वीकार था ये भी नियति […]

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सृष्टि के, असंख्य जीवों में.. श्रेष्ठ है मनुष्य। कुत्ते,बिल्ली, हाथी,घोड़ा,गधा अनेक जीवों में।। खुद को साबित किया, समझदार.. पर भूल गया हँसना, लाना चेहरे पर मुस्कान। ईश्वर ने यह अधिकार सिर्फ, मानव को ही दिया.. मुस्कुरा सकता है मानव ही, गधा नहीं।। फिर क्यों, नफरत का बीज बोकर.. छीन ली […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।