युगों युगों से सहते आये नारी की व्यथा करुणा है, अबला नही अब सबला है ये दुर्गा लक्ष्मी वरुणा है। द्रौपदी आज बीच सभा चीत्कार रही, कितनी सारी निर्भया खून के आसूं बहा रही। चीर हरण अब रोज होता कृष्ण नही अब आते हैं, छोटे छीटे मासूम भी हवस की […]

जिंदगी में जिंदगी की ये अहमियत जान लो,   वक्त पे हर काम करने की अभी से ठान लो,   जिंदगी है तुम्हारी एक कहानी की तरह,   काम से ही नाम होगा जिंदगी मे हर जगह,   काम से पहचानते हैं लोग मतलब मे यहाँ,   जिंदगी ये काम […]

माँ शब्द मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा गुमान हैं, माँ ही मेरी जिंदगी और माँ से ही मेरी पहचान हैं, अंधेरों से उजालों तक के इस सफर में, मशाल बन कर मेरी माँ ने दिया बहुत बड़ा योगदान हैं, हर मुसीबत से बचाया मुझे,जिंदगी जीना सिखाया मुझें, हर कदम पे […]

अपना मध्यप्रदेश निराला अपना मध्यप्रदेश, सभी प्रान्तों में है आला अपना मध्यप्रदेश। बसा सतपुड़ा बीच पचमढ़ी दर्शनीय स्थल, विन्ध्यवासिनी मातु नर्मदा बहे बन्धु! कलकल। लगे स्वयं में जैसे शिवाला अपना मध्यप्रदेश, सभी प्रान्तों में है आला अपना मध्यप्रदेश।। भीमबैठका वाली गुफाएँ देख हों सब हर्षित, खजुराहो के मन्दिर जग में […]

हम भी प्रतिकूल परिस्थियों के कारण और कुछ प्रयासों के विफल हो जाने पर प्रयास करना छोड़ देते हैं। हम स्वयं को अपनी ही नकारात्मक सोच के बन्धनों में बाँध देते हैं,और यह मानने लगते हैं कि हमारे प्रयास कभी सफल हो ही नहीं सकते,लेकिन वास्तव में हमें यह नहीं […]

मुझको युद्ध नही विराम पसन्द है, मुझको संघार नही सृंगार पसन्द है, लेकिन दूषित कर दे जो मेरे तन मन को, तब केवल और केवल परशुराम पसन्द है, मुझको तो दुर्गम अनुसंधान पसन्द है, मुझको केवल स्वेत परिधान पसन्द है, लेकिन लहू से लतपत लालित होजाऊँ, तो मुझको शत्रुओं का […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।