मुझको तुझसे चाहत सी होने लगी है तेरी मुझको आदत सी होने लगी है ढूंढते रहती है तुमको ही नजरें मेरी नजरें करम इनायत सी होने लगी है तुम्हे देखकर ही मिलता है चैनों सुकून लगता है जैसे राहत सी होने लगी है मांगता रहा दुआओं में तुमको ही तो […]

क्यों किसी का इशारा नहीं होता कोई दिलबर हमारा  नहीं  होता चारों  ही  तरफ  क्यों  है  सन्नाटा भला खूबसूरत क्यों नजारा नहीं होता फँसे समुंदर में मझधार में आकर किस्मत में क्यों किनारा नहीं होता खुशियां साथ होती मेरे भी अक्सर अगर कोई बाजी मैं हारा नहीं होता करें ऐतबार […]

मंजर  मुझे भी  भाने लगा है कोई चेहरा याद आने लगा है आसमां में चाँद खूबसूरत लगे  भौरा कोई   इतराने  लगा  है शरदपूर्णिमा झूम कर आ  गई मस्ती में गीत कोई गाने लगा है सुहाना है मौसम हसीन वादियां दरिया किनारे कोई बुलाने लगा है रात हो  ही गई खिल […]

अभी रावण का  पुतला  जला  है हादसा मेरे भाई कहां फिर टला है कई  रावण  फिर से  जिंदा  मिलेंगे बुराई का जहां में अभी सिलसिला है दानव ही दानव नजर आ रहे हैं सर पे हमारे अभी कोई  बला है उजाले रहे देखो  चंद ही पलों के हुआ अंधकार फिर  […]

दिल में हमें भी बसाकर तो देखो सीने  से  जरा लगाकर तो  देखो पलकें बिछाए खड़े  है राहों में तेरी रुख से जरा पर्दा हटाकर तो देखो मेरी आँख में है चाहत तुम्हारे लिए नजर से  नजर  मिलाकर तो देखो सँवर जाएंगे और सँवार देंगे तुम्हे भी हाले दिल हमसे […]

बेटी का जिस घर अवतार होता है  महकता है वो आँगन गुलजार होता है बन जाती है वो बहु किसी घर की  सर पर रखे आँचल संस्कार होता है पड़े दहलीज पर कदम उसके  मुस्काता खिला परिवार होता है समाज में मिलता है सम्मान भी उसको  खुशियों भरा मानो संसार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।