मन के तार को जब छूते हैं प्रीत मीत के स्वर लहरी। या कि विकल समाधान को कोई पीड़ा होती है गहरी॥ वेगवती नदी बरसाती-सी वह अल्हड़ रुकती नहीं कहीं। ऐसी उर की उद्दाम तरलता होता सच्चा संगीत वहीं॥ भर जाता आनन्द असीम रोम-रोम पुलकित होते। मधु मिश्रित मलयानिल-सा मधुर […]