तरकीब

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suresh sourabh

वह दो साल से पैंतीस हजार का कर्ज लेने के लिए बैंक के रोज चक्कर काट रहा था। उस गरीब का सपना बस एक परचून की दुकान थी,पर बैंक वाले रोज कोई न कोई कहानी सुनाकर उसे टरका देते। एक दिन किसी ने उसे एक तरकीब सुझाई। अगले दिन वह बैंक गया। बैंक मैनेजर से एकांत में मिला। फिर उसे कुछ दिनों बाद बैंक ने तीस लाख कर्ज दे दिया। उसने उन रुपयों से व्यापार शुरू किया। कम समय में जिले के व्यापारियों में उसका नाम बढ़ने लगा।
समय बीतता गया। वह कई बैंकों से  कई करोड़ रूपया निकालते हुए अपने व्यापार को देश की सीमाओं के बाहर तक फैलाता गया।अचानक एक दिन किसी बैंक ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे करोड़ों रूपये निकालने का उस पर केस दर्ज किया। लेकिन अब वह परदेश की सैर कर रहा था। देश की मीडिया और अदालतें अब रोज उसके लिए हाय -तौबा मचाने लगी। फिर कई और बैंक घपले -घोटाले का केस उस पर दर्ज करते गये। उसे देश वापस कौन लायेगा?बैंकौं ने क्यों चूक की ? अब यह अल्लाह ही जाने।

                               #सुरेश सौरभ

matruadmin

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