गुरू करेंगें पार

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mukesh bohara
गुरू बिन कौन है अपना,
जो हमको पार कर देगा।
बदी को दूर कर दिल से,
गुरू नेकी को भर देगा॥
गुरू की तू शरण ले ले,
अमन जीवन सुधर जाए।
गुरू एक रास्ता सीधा,
इधर जाए,उधर जाए॥
सब कुछ तू लुटा उस पर,
वो कर शीश धर देगा।
गुरू बिन कौन है अपना,
जो हमको पार कर देगा॥
गुरू की बात का कहना,
अमन एक बार कर ले तू।
दुनिया है भटक-नैया,
भंवर के जाल उतर ले तू॥
गुरू से ही रोशन हम,
वही जीवन संवर देगा।
गुरू बिन कौन है अपना,
जो हमको पार कर देगा॥
घनी काली,अंधेरी रात,
एक दिन पास आनी है।
खुदा के घर से हासिल वो,
एक दिन श्वांस जानी है॥
इन्हीं दो दिन के पल में,
वो हमारे पाप हर लेगा।
गुरू बिन कौन है अपना,
जो हमको पार कर देगा॥
गुरू जीवन की नैया का,
कुशल साधक,खिवैया है।
भंवर से बाहर लाए वो,
उसी के हाथ में नैया है॥
गुरू एक दिन हमें सच में,
सुनहरे  पंख, पर देगा।
गुरू बिन कौन है अपना,
जो हमको पार कर देगा॥
गुरू जीवन नहीं तो क्या,
सभी सूना , सभी बेरंग।
उसी से तो मिले जीवन,
जीवन को अनेक  रंग॥
गुरू शार्गिद बेघर को,
अमन एक रोज घर देगा।
गुरू बिन कौन है अपना ,
जो हमको पार कर देगा॥
                                                                           #मुकेश बोहरा ‘अमन’ 
परिचय : मुकेश बोहरा ‘अमन’ अधिकतर बाल रचनाएँ रचते हैं। आप पेशे से अध्यापक होकर बाड़मेर (राजस्थान) में बसे हुए हैं।

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