
जीवन का नव वर्ष प्रिये
यह प्रीत नवल स्वीकार हो
कौन – विश्वास दूँ में तुम्हें
यह रीत नवल स्वीकार करो …।
मुझको खिंचता निरंतर
तुम गीत नई मुस्कान हो
सिर्फ पक्ष नहीं दो शब्दों में
यह प्रसंग नवल स्वीकार करो ।
विषाद राग से भरी रही
न सुख कहीं न मिल पाया
नव उज्ज्वल से , नव घूँटों से
यह माधुर्य अमृत स्वीकार करो ।
मेरे वर्ण-वर्ण शृंखला में
गीत – गीत के कूक भरो
नव वर्ष तुम्हें , नव हर्ष तुम्हें
यह उर उत्कर्ष स्वीकार करो ।
अंत यौवन, अंत जीवन होता
मृत्यु का न कर भय प्रिये
जीवन की अंतिम घड़ियों में
जीवन का सच स्वीकार करो ।
पुष्पा त्रिपाठी “पुष्प”
साहित्यकार सह शिक्षिका
बेंगलुरू (कर्नाटक)
परिचय :
नाम : पुष्पा त्रिपाठी “पुष्प”
शिक्षा : M.A. (हिंदी साहित्य), B.ed
मूल स्थान : मुंबई
कार्य क्षेत्र : बैंगलोर के प्रतिष्ठित विद्यालय में हिंदी अध्यापिका, शिक्षिका, सह साहित्यकार, हिंदी के लिए सेवा
कर्मस्थल : बैंगलोर (कर्नाटक)
साहित्यिक अनुभव : विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में आलेख, कविताओं का प्रकाशन, दोहा लेखन, छन्दरहित कविता आदि ।
प्रकाशित पुस्तकें : भाषा सहोदरी 3 काव्यसंग्रह , दीपशिखा काव्यसंग्रह, अपनी अपनी छतरी , वो जो गुमनाम रहे (भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की हृदयस्पर्शी सत्य गाथाएं) अन्य कई पुस्तकों में आलेख व कविताएं
सम्मान : अटल साहित्य सम्मान, सरस्वती साहित्य सम्मान