मेरे पापा की कहानी

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पापा जी के चरणों में
अपना सीस झूकता हूँ।
उनके त्याग बलिदान को
अपने बच्चो को सुनता हूँ।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना सीस झूकता हूँ…।।

जन्म लिया उन्होंने ने
बड़े जमींदार के घर में।
बड़े बेटे बनकर उन्होंने
निभाया अपना कर्तव्य।
यश आराम से जिंदगी
जी रहे थे परिवार के सब।
भगवान की कृपा दृष्टि से
सब अच्छा चल रहा था।।
और भाई बहिन माता पिता का
प्रेम बरस रहा था।
ऐसे पापा जी के चरणों में
अपना सीस झूकता हूँ..।।

भाई बहिन के प्रेम में
वो ऐसे रहे थे।
उन्हें उनके अलावा
कुछ और नहीं दिखता था।
भाई बहिन पर वो अपनी
जान नीछावर करते थे।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना सीस झूकता हूँ।।

पर समय परिवर्तन ने
कुछ ऐसा कर दिखाया।
भाई बहिन और पिता ने
मुँह मोड़ लिया बेटे से।
कल तक जो सबको
बहुत प्यारे भाई लगते थे।
अब वो ही सब की
आँखो में खटकने लगे।
26 सालों के साथ रहने का
अब अंत हो गया।
होकर अलग अपने
भाई बहिन और पिता से।
अगल संसार फिर से
पापाजी ने बसा लिया।
और जीवन की नई शुरुआत
पत्नी चार बच्चो के साथ किये।
अपनी मेहनत और लगन
और मम्मी के धर्म ध्यान ने
अपने परिवार को संभाला।
और नई दिशा देकर अपने
बच्चों को लायक बना दिया।
और बच्चों ने भी कुछ
अलग करके दिखा दिया।
ऐसे पापाजी के चरणों में
अपना सीस झुकता हूँ..।।

उम्र के जिस पड़ाव पर
उन्हें आराम चाहिए था।
वहा रात रात भर जागकर
कुछ ऐसा कार्य किया।
जिससे उनका परिवार
फिर से संभाल गया।
और संसार की दौड़ में
फिर से वापिस आ गया।
तब संसारी रिश्तों ने
पुन: चापलूसी शुरूकर दी।
और समय ने एकबार फिरसे
अपनी करवट बदल ली।
और सुख समृध्दि के
दिन फिरसे लौटा दिये।
ऐसे कर्मठ और लगनशील
पापा जी के चरणों में
अपना सीस झुकाता हूँ।।

अब हाल बहुत निराला है
सबका झुकाव यहाँ पर है।
कल तक के उन लोगों का
अब हाल बहुत अलग है।
और भैया के बेटो ने
कुछ ऐसा करके दिखाया है।
जिस से पापा का सिर
गर्व से ऊँचा उठा गया।
पर ये सब देखने के लिए
अब वो हमारे बीच नहीं रहे।
जब सुख के दिन आये
तब छोड़कर पापा जी।
हम सब से दूर चले गये।
और हम सब को छोड़कर
मायावी संसार से चले गये।।
ऐसे पापाजी के चरणों में
हम अपना सीस झूकते है।।

जय जिनेंद्र देव
संजय जैन मुंबई

matruadmin

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।