चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है
हर तरफ मौत का ताड़व मचा हुआ है
मजबूर मजदूर क्यो पैदल निकला ये सरकारी तंत्र क्यो मौन हुआ है ?
देश में रेल बस सेवा होते हुए भी
क्यो पैदल सड़कों पर वह चलता हैं ?
देश में अनाज के भंडार भरे हुए है
फिर भी वह भूखा क्यो मरता है ?
पूछ रहा हूं ये सवाल देश के नेताओ से,
मासूम बच्चे पैदल क्यो चलते है ?
सड़कों पर वे क्यो भूखे मरते है ?
पैरों में न उनके जूते व चप्पल भी
फिर भी मजबूर होकर चलते हैं।।
सिर व कंधो पर समान लदा हुआ
आंखो में आंसू सीने में दर्द छिपा हुआ।
फिर भी निरंतर काफिला चल रहा
बतलाओ ये तंत्र क्यो मौन हुआ ?
जब मजदूर न होगा उद्योग कैसे चलाओगे,?
ये लम्बी चौड़ी सड़क फिर कैसे बनाओगे
जिन ए सी भवनों में रहते हो तुम
उनको फिर तुम उनसे कैसे चिनवाओगे
मजदूर मजबूर होकर क्यो निकल रहा
शहरों को वह अब खाली क्यो कर रहा।
क्यो नही आते ये प्रश्न तुम्हारे मस्तिष्क में,
ये जन जन अब तुमसे पूछ रहा।।
एक प्रश्न नहीं अनेक है जो पूछे जायेगे,
अगले चुनाव में तुम मुंह छिपाते पाओगे।
अगर हल नहीं कर पाए इन प्रश्नों को
अगला चुनाव तुम कैसे जीत पाओगे ?
अगर देश के हम हालात बताने लगेगे
सुनकर पत्थर भी आंसू बहाने लगेगे।
क्यो नही पिघला है दिल नेताओ का,
इसको समझाने में हमें जमाने लगेगे।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम