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पाल रक्खे है काले नाग,अपनी आस्तीनों में |,
बेचते है जहर इनका ये अपनी दुकानों में ||
पिलाते है दूध इनको वो इस तरह |
जैसे कोई मय पिलाते है मयखाने में ||
बुलाये है कुछ सपेरे,कुछ विदेशो से भी |
जो छिपे पड़े है अभी उनके तहखानो में ||
निकाला है बड़ी मुश्किल से उनको हमने |
एडमिट कराया है उनको देश के सफाखानो में ||
हो जाये अगर ठीक वो कुछ वक्त में |
डालना है उनको देश के जेलखानो में ||
कहता है राम की क्या सलूक किया जाये |
भेज दिया जाये उनके पुराने दौलतखाने में ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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