
बापू तेरे तीन बंदर
घूम रहे है गली गली।
तेरे संदेशों की परिभाषा
दुनिंया को वो बतला रहे।
पर इस युग मे उन संदेशों का।
अब शायद कोई मतलब नही।।
बंदर तेरे बोल रहे है,
जाकर अब हर गली गली।
देखो और सुनो तुम सब,
पर किसी को कुछ बोलो नही।
बोल गए यदि भूल से तुम तो।
फिर सुनने और देखने
के, लायक तुम नही रहोगे।।
इसलिए सिध्दांत ये तुम मानो।
न देखा न सुना और न ही,
हमे कुछ बोलना है।
तभी आज के युग मे
सुखी तुम रह पाओगे।
वरना न सुनने के न देखने के और न ही बोलने के लायक रह पाओगे।
इसलिए गांधी जी के
तीनो बंदरो का,
मूल स्वरूप जानो और मानो।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।