सय्या झूठों का बड़ा सरताज निकला !

0 0
Read Time4 Minute, 20 Second

pradeep upadhyay

लोग कहते हैं कि मौन रहने से बेहतर है कि आप मुखर रहकर अपनी बात कहें।यानी बोलना जरूरी है वरना यदि मौनी बाबा बनकर रह गए तो आपकी कहीं दाल गलने वाली नहीं !लोग यह भी कहते हैं कि जब भी बोलो सोच-समझकर बोलो।उनकी बात तो ठीक है लेकिन जब बिना सोच-विचार कर कोई बात कहेंगे तो वह सत्य के करीब होगी और जहाँ सत्य उद्घाटित होता है वहाँ बड़े-बड़े हंगामे खड़े हो जाते हैं तब तो झूठ बोलना ही ज्यादा कारगर होगा न!क्योंकि झूठ के पैर नहीं होते हैं बल्कि पंख होते हैं, शायद इसीलिए वह हरेक जगह विचरण,संचरण कर लेता है।

हाँ, जब आपसे पूछा जाएगा कि आपने आज दिनभर में सच कब बोला तो आप सोच में पड़ जाएंगे, वहीं यदि यह प्रश्न किया जाएगा कि आपने झूठ कब बोला था तो सीधा सा जवाब होगा कि प्रातः काल से ही घर-परिवार में झूठ की शुरुआत करते हुए अपने कार्यस्थल और प्रत्येक ऐसी जगह जहाँ व्यवहार करना होता है, झूठ ही बोलना पड़ता है।कहते भी हैं कि झूठ बोलना मजबूरी है, झूठ के बिना काम चल नहीं सकता।एक बार सच नहीं बोलेंगे तो काम चल जाएगा लेकिन यदि झूठ नहीं बोले तो हर काम में रूकावट ही रूकावट!बिना झूठ के जीवन की गाड़ी कहाँ चल पाती है।कभी-कभी ही सत्य के प्रयोग कर लेते हैं लेकिन तब उसकी बड़ी कीमत भी चुकाना पड़ती है।हाँ, हम इस बात का कोई रेकार्ड नहीं रखते कि दिन,सप्ताह, मास और वर्ष में हमने कितना झूठ बोला।यह तो अमेरिकी मीडिया का दिमागी फितूर है जिसने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो साल में आठ हजार एक सौ अट्ठावन बार झूठ बोला।पहले साल दो हजार और दूसरे साल छः हजार से अधिक बार!यानी पहले साल में रोजाना औसतन छः झूठ और दूसरे साल तक इसकी महत्ता को समझते हुए तीन गुना के करीब सत्रह बार।अर्थात उन्होंने भी राजनीति के क्षेत्र में सीख लेते हुए झूठ की महत्ता को समझ लिया।

सत्य के प्रयोग पर तो एक ही महात्मा ने लिखने का साहस किया था लेकिन क्या झूठ के प्रयोग पर लिखने के लिए आज के महात्माओं से हम उम्मीद करें! वर्तमान परिदृश्य में इस बात पर शोध किया जा सकता है कि इंसान को झूठ बोलने की आवश्यकता क्यों पड़ती है।मुझे लगता है कि सत्य की आवाज दिल से निकलती है और झूठ की आवाज़ दिमाग से प्रस्फुटित होती है।अब जबकि इंसान सच से ज्यादा झूठ से प्रभावित होने लगा है, झूठ का ही यत्र-तत्र-सर्वत्र प्रयोग करने लगा है, झूठ की सीढ़ी ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हुए दिखाई देती है जबकि सत्य की राह कंटकाकीर्ण दिखाई देती है तब इस बात को मानना मजबूरी ही है कि इंसानी शरीर में दिल कमजोर अंग है और दिमाग बलशाली!यह तो अच्छा है कि हमारे देश में फैक्ट चैकर्स ऐसे कोई डेटा तैयार नहीं कर रहे हैं वरना फिर ये एक झूठ को सौ बार बोलकर सच बनाने वाले कैसे बच पाते और उनके बारे में यही कहा जाता कि- “सय्या झूठों का बड़ा सरताज निकला।”

डॉ प्रदीप उपाध्याय

देवास,म.प्र.

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

गणतंत्र दिवस

Fri Jan 25 , 2019
हाथ तिरंगा लेकर गणतंत्र दिवस पर, मैं   गीत   देशभक्ति   के   गाता   हूँ। देश पर शहीद हुए जो,मुझे याद नही, लेकिन खुद को देशभक्त बताता हूँ । मैं  आज के भारत देश का युवा हूँ, तिरंगे के साथ सेल्फी खिंचवाता हूँ। मैं  बेशर्म  हूँ  बहुत  और  बेगैरत  भी, ऐसे मौकों पर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।