सफर

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niraj tyagi
तरुण अपने किसी काम से ग़ाज़ियाबाद से इलाहाबाद के लिए गया।इलाहाबाद के स्टेशन पर उतरते हुए उसने एक रिक्शा वाले को बुलाया और उसे एक स्थान पर पहुचाने के लिए कहा।रिक्शा वाले ने तरुण को रिक्शा में बैठाया और उस स्थान की और बढ़ गया।लगभग आधे घंटे रिक्शावाला उसके साथ रहा।
इस समय मे रिक्शावाला उससे काफी घुल मिल गया। तरुण को भी उससे बातचीत करना काफी ठीक लग रहा था।रास्ते में तरुण को बैंक दिखाई दिया इसी बैंक में उसका अकाउंट भी था।उसने रिक्शावाले से कहा कि मैं जरा बैंक से 5 मिनट का काम करके बाहर आ रहा हूँ।बस वो थोड़ी देर उसका बाहर इन्तेजार करे।
रिक्शा वाले ने कहा साहब मैं बाहर खड़ा हूँ। आप कृपया मुझे ₹100 दे दो। मैं आपका इंतजार कर लूंगा और यदि ज्यादा देर लगी तो मैं चला जाऊँगा।तरुण ने रिक्शा वाले को ₹100 दिए और बैंक के अंदर चला गया। लगभग 5  मिनट के अंतराल के बाद रिक्शा वाले के पास आया।
बाहर आकर उसने देखा रिक्शावाला कहीं नहीं है।रिक्शावाला ₹100 लेकर वहाँ से जा चुका था।तरुण ने एक दूसरे रिक्शा वाले को बुलाया और उसमे बैठकर अपनी मंजिल की और आगे बढ़ गया।ये रिक्शावाला तरुण को रेलवे स्टेशन के पास से 100 कदम की दूरी आगे एक घर के बाहर छोड़कर बोला साहब आपकीं मंजिल आ गयी।
तरुण अपनी मंजिल को स्टेशन के इतने पास पाकर अपने आपको पहले रिक्शावाले के हाथों ठगा हुआ सा महसूस कर रहा था।किसी दूसरे देश मे ऐसा होता तो भी ठीक था, किंतु अपने देश मे अपने ही लोगो से ठगे जाने पर तरुण का दिल बहुत दुखी था।जिस 100 कदम की दूरी को वो पैदल चलकर तय कर सकता था।वो उसने 200रुपये में तय की।अब वो समझ चुका था कि रिक्शावाला उसे स्टेशन पर देख कर ही पहचान गया था कि उसे अपनी मंजिल की दूरी के बारे में नही पता है कि वो जगह स्टेशन के सामने ही है।
#नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश )

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।