होकर हालात का शिकार बदल जाती है

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bharat malhotra
होकर हालात का शिकार बदल जाती है
नीयत का क्या है बार-बार बदल जाती है
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करती है वादे सारी ज़िंदगी के ये दुनिया
चलके साथ कदम दो-चार बदल जाती है
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पहले तो बनाती है आशना हमें अपना
धीरे-धीरे छीन कर करार बदल जाती है
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बुझने से पहले दिया जलता है और तेज़
मंज़िल करीब आते ही रफ्तार बदल जाती है
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सबको मिलता है मौका हमको लूटने का
हर पाँच साल में यहाँ सरकार बदल जाती है
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भरत मल्होत्रा।
परिचय :- 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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