उधार लेकर घी पीने की कहावत सुनी जरूर थी परन्तु उसे सरकारों के माध्यम से चरितार्थ होने की निरंतर स्थिति में तीव्रगामी होते पहली बार देखा। सरकारों के बजट पर ईमानदार करदाताओं की खून पिपाषु नीतियां हमेशा से लागू होती रहीं है परन्तु इन दिनों विकास के नाम पर कुछ […]

विश्व में संभवत: कोई ऐसा वैज्ञानिक, शिक्षाविद, दार्शनिक, चिंतक अथवा भाषाविद् नहीं होगा जिसने मनुष्य के विकास के लिए मातृभाषा के महत्व को स्वीकार न किया हो। भाषाविदों के अनुसार समाज विकसित या अविकसित हो सकते हैं लेकिन कोई भी भाषा अविकसित नहीं होती। संसार की हर भाषा में अपने […]

अस्तगामी सूरज की लाल किरणें जल का श्रंगार कर रहीं थीं वे भी शायद अस्ताचल की ओर प्रस्थान करने के पहिले अपने आपको पवित्र कर लेना चाहतीं थी । सूरज का लाल प्रतिबिम्ब शांत होती जा रहीं जल पर सुन्दर चित्रकारी जैसा उभर आया था एक दम लाल जिसमें अपनी […]

28 वर्ष के जीवन काल में मैंने 700 से अधिक कविताएं लिखी हैं‌ । मेरी पहली किताब का नाम है ‘स्वर्ग’ जो कुछ वर्ष पूर्व प्रकाशित हुई थी जिसकी हजारों प्रतियां बिक चुकी हैं। कोरोना काल में भी मेरा एक काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ जिसका नाम है ‘हाय री! कुमुदिनी’। […]

देश के विभिन्न प्रदेशों में इन दिनों सडक सुरक्षा माह का विशेष आयोजन किया जा रहा है। सरकारी विभागों में परिवहन, पुलिस और नगर निकायों को विशेष बजट आवंटित करके उनके उत्तरदायत्वों को निर्धारित किया गया है। यानी इस माह में सडक दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के साथ-साथ वाहन चालकों […]

संस्कृत में 1700 धातुएं, 70 प्रत्यय और 80 उपसर्ग हैं, इनके योग से जो शब्द बनते हैं, उनकी संख्या 27 लाख 20 हजार होती है। यदि दो शब्दों से बने सामासिक शब्दों को जोड़ते हैं तो उनकी संख्या लगभग 769 करोड़ हो जाती है। संस्कृत इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज की सबसे प्राचीन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।