रुकते-रुकते इस महफ़िल में,जाना अच्छा लगता है। कोई न जाने मुझको यहाँ,अनजाना अच्छा लगता है। दूर निकल देखा रे जिंदगी,वो मजलिस मेरा था ही नहीं। गुमसुम-गुपचुप बैठा यहाँ,सारा बेगाना अच्छा लगता है। छूटा अपने टूटे जो सपने,किसका मुझे है गम करना। ठोकरें इतनी पायी है मैंने,सारा जमाना अच्छा लगता है। […]

कर लिए कायम दायरे सबने अपने-अपने हो गए आदि तंग दायरों के कितना सीमित कर लिया खुद को सबने नहीं देखा कभी दायरों को तोड़ कर अगर देख लेता तोड़ कर इनको तो हो जाता उन्मुक्त पक्षियों की तरह जिन्हें नहीं रोक पाते छोटे-बड़े दायरे नहीं कर पाती सीमित इनकी […]

धरती का सूरज आज से आसमान में जगमगाएगा यहीं रहा है और रहे हमेशा दिलों से कभी न जायेगा। एक एक भारतवासी में वह रहेंगे जिंदा मौत एक सच्चाई है सिर्फ तन से सांसे हुईं जुदा। आसमान में एक अभी था आज से दो ध्रुव तारे होंगे अमावस कभी काली […]

भाई घर की शान है, बहना है अभिमान। देखो  बहना के बिना,सुना लगता मकान।। भाई कि कलाई सजे, बहना के ही हाथ। छूटे से छूटे नही,इन दोनों का साथ।। बड़ी बहना माँ सम तो,छोटी सखी समान। भाई में बसती सदा,बहनों की है जान।। मात-पिता रखते सदा,दोनों को हि समान।। दोनों […]

एशियन खेल प्रतिस्पर्द्धा में 16 वर्षिय सौरभ चौधरी द्वारा नये कीर्तिमान सहित स्वर्ण पदक जीतने पर बधाई स्वरूप मेरी रचना सोना का तगमा लिया,बना देश का नाज। सौरभ तुम पे गर्व है, हर दिल से आवाज। हर दिल से आवाज,बधाई का हो ताँता। झूम उठे सब लोग,हर्ष में तेरी माता। […]

भावनाओं का निर्मल सलिल हृदय से गुज़रते ही दर्द की आग में उबल पड़ता है और निष्क्रिय मस्तिष्क फिर वापस पीछे धकेलते हुए शरीर निष्प्राण सम कर देता है हर डगर यूँ तो कठिन है पर जब हालात साथ छोड़ते हैं तब ये और भी दूभर हो जाती है फिर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।