कर्तव्य धर्मों में तीन प्रमुख माने गए हैं – वैयक्तिक धर्म, समाज धर्म और राष्ट्र धर्म । ‘वैयक्तिक धर्म’ व्यक्ति की सुख – सुविधा और विकास हेतु होता है । ‘समाज धर्म’ में व्यक्ति और समाज की प्रगति की बात सोची जाती है, जबकि ‘राष्ट्र धर्म’ में व्यक्ति, समाज और […]
