कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर शिक्षा व्यवस्था में व्यापक बदलाव की जरूरत महसूस करते थे। उनके मन में एक ऐसे संस्थान की परिकल्पना थी जहां शिक्षा का मतलब केवल किताबों में सिमटना न हो। वे चाहते थे बच्चे बंद कमरों से बाहर निकलकर प्रकृति के साथ जुड़ना सीखें। कहीं उन्होंने लिखा भी […]

घने अंधेरा को काटेगे अमा निशा मे प्रकाश बांटेगे दीपो ने यह ठाना है अंधेरा दूर भगाना है दीपावली मनाना है नही अंधेरा राज चलेगा तम का जोर अब नही चलेगा दीप पंक्ति जलाना है दीपावली मनाना है अंतर तम भी दूर करेगे अब तो मन मालिन्य कटेगे श्वेत चांदनी […]

नही दिखाते जब मुझे तो दिल व्याकुल रहता। तमन्नाए दिल की बहुत चंचल होती है। पर ये दिल है कि कही और लगता ही नही। जबकि में जानता हूँ कि वो मेरी कोई नही।। करू तो क्या करू की दिल मचाले न मेरा। मेरी बैचैनी का दर्द समझेगा कोई मेरा। […]

गैर तो अपने बने नही सगे भी अपने रहे नही मोबाईल का जादू ऐसा छाया दिल के रिश्ते तक रहे नही मां,बहन,ताई,चाची को मोबाईल के चक्कर मे भूल गए इस फेसबुक की दुनियां में वे सब भी फ्रेंड हो गए पिता,भाई,ताऊ,चाचा भी फ़्रेंडशिप सूची में आ गए रिश्तों की मर्यादा […]

उत्थान और पतन का है मिश्रण जीवन सूखा हुआ सुख पाकर क्यों हो मगन ? दुनिया का दुःख देख सूख जाता मन आज यौवन , बुढ़ापा , बचा न बचपन संतोष ही है सुख का सर्वोत्तम रतन जलाकर ज्ञान – दीप ,जला दो जलन मत कर, ईर्ष्या-द्वेष से होता है […]

मेरे संग बेटी भी धूप में तपी हैं तब जाकर यह दीपक बनें है । संस्कृति को हम जिंदा रखें हुए अपनी माटी से जो बंधे हुए है ।। किंतु आज होता हमें बहुत दर्द बिजली के दीप जब जलाते है । पूंजी शत्रु देश चीन को देकर दीवाली हम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।