असुरों की टोली ने फ़िर से, कर डाला है भीषण निनाद.. इस देवभूमि पर दानवदल, फैला बैठा जाला-जिहाद। मानव चेतना अचेत पड़ी, क्या फूट गई हिय की आँखें ? लगता है जैसे खण्ड-खण्ड.. धर्मों की बटी हुईं शाखें। सो गए आज क्या परशुराम, खो गए कहाँ पर मेघश्याम.. धर्मों के […]
