खेत में ही फंदा लगा करता है वह आत्मघात, खबरें छपती अख़बारों में ,रहते सब चुपचाप। करोड़ों खाते लफंगे,पर किसानों को नहीं माफी, जिंदगी खत्म हो जाती और कर्ज रह जाता बाकी। खाद,बीज की चिंता, ऊपर से महंगाई की मार, विषम परिस्थितियों के आगे,वह जाता है हार। अन्नदाता है जो […]
