कल दिवाली, आज सुहाग पड़वा कल भाईदूज, जिन्दगी रिश्तों की पहेली, बूझ सके तो बूझ। कहीं पकवानों की मिठास, कहीं मेलजोल का मधुमास। कहीं अहम की दीवारें समृद्धि का सन्नाटा, अकूत सम्पदा में घाटे का गीला आटा। कहीं फाका-मस्ती की रौनक, मुफलिसी की मौज अभावों में भी जारी भावों का […]