देख लिया जग सारा तुमने चलो लौट चलें अब गांव की ओर सदियों से ढोते अपमान ,गंदगी दरिद्रता ,अत्याचार, लाचारी बड़ी-बड़ी अट्टालिकायों के पीछे छिपे उस दोगले इंसानों को मतलबी, मौकापरस्त, स्वेच्छाचारी उस चमकते किंतु सिसकते महानगरों से जहां गरीबी सबसे बड़ी गाली है जहां पैसा ही भगवान है दूर […]
