अजन्मा,अशरीरी, निराकार कहलाता है ज्योतिबिंदु स्वरूप है दिव्यता फैहराता है पिता हमारा पालक वह आंनद सुखदाता है प्रेम का महासागर है प्रेम ही बरसाता है पवित्रता का पाठ पढाये विदेहीपन सिखलाता है राजयोग पाठ्यक्रम है ज्ञान सारा बतलाता है।#श्रीगोपाल नारसन Post Views: 30

भारत में उत्तरप्रदेश हिंदी का सबसे बड़ा गढ़ है लेकिन देखिए कि हिंदी की वहां कैसी दुर्दशा है। इस साल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 23 लाख विद्यार्थियों में से लगभग 8 लाख विद्यार्थी हिंदी में अनुतीर्ण हो गए। डूब गए। जो पार लगे, उनमें से भी ज्यादातर किसी तरह […]

हिंदी को हम कहते माँ पर क्या हम दें पाए वो सम्मान वर्ष में एक दिन मनाए हिंदी उत्सव बाकी हर दिन करते अपमान बड़े शर्म की बात है यह माँ को न मिल पाया अब तक सम्मान क्यों भूल गए वो दिन जब थे हम अंग्रेजी के गुलाम ना […]

बनाकर आशियाना अपनी मोहब्बत का, क्यों तुम गिरा रहे हो। जमाने के डर से शायद, तुम भाग रहे हो। और लोगो के भवर जाल में, तुम फस गये हो। और अपनी मोहब्बत का, जनाजा खुद निकल रहे हो।। ये दुनियाँ बहुत जालिम है, जिसने न छोड़ा राम सीता को। जुदा […]

खाया पान भरा जो मुंह में सोचा थूक कहा आऊँ नाली के जब पास गया तो कीड़ा बोला हट जाऊँ उद्दल सामने आया वो और मुझे देखकर गुर्राया बहुत जोर से मुझको डॉटा और डॉटकर समझाया अगर थूकना ही है तुमको थूको उस शिक्षालय पर शिक्षा का स्तर जो गिराते […]

त्रेता युग अनकही कहानी, सुनो ध्यान धर कर। बात पुरानी नहीं अजानी, कही सुनी घर घर। शबरी थी इक भील कुमारी, निर्मल सुन्दर तन। शुद्ध हृदय मतिशील विचारी,रहती पितु घर वन। बड़ी भई मात पितु सोचे, सुता ब्याह जब तब। ब्याह बरात रीति अति पोचा, नही सहेगी अब। मारहिं जीव […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।