शत–प्रतिशत सच है, कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती। न देखी जाती है उम्र, स्वयं की और न सामने वाले की। बस होनी चाहिए, मन के एक कोने में ललक, संग कुछ पाने की जिज्ञासा। हाॅं…. सीखा जा सकता है, एक छोटे बच्चे से। सीख सकते हैं बुज़ुर्ग से, […]

ज़िंदगी हमसे कितनी हमें दूर ले गई एक सदा–ए-समा जो घबराती रहे हालात–ए–सर्द निग़ाहों में कुछ भी नहीं हम दरिचों में ख़ुद को सजाते रहे ज़िंदगी की पनाहों में कुछ तो मिले उनींदी राहों में बड़बड़ाते रहे आज कल तो हमीं दाव पर हाल है हम सजाएँ सहर थरथराते रहे […]

कभी भी… चार दिवारी में कैद होकर खुद को सबसे जुदा नहीं करना चाहिए। उम्मीद के लिए घर की तरह ही एक खिड़की हमेशा खुली रखना चाहिए। उजाले की कोई किरण…. कभी कोई पैगाम ले आएगी। कभी चमकती धूप से मन की उदासी छट जाएगी। धूप-छाँव से जगमग होगी सारी […]

सबके चेहरों पर चिंता के बादल मंडरा रहे हैं। अम्मा की तबीयत है कि सुधरने की बजाय और बिगड़ती ही जा रही है।कैसी कुम्हला गयीं हैं अम्मा।अब उनका दुख देखा नहीं जाता उनकी कराह से मन दुखी हो रहा है। “अम्मा! अम्मा!” गुलमोहर की डाल पर बैठी चींचीं ने पुकारा […]

रैन तुम्हारे संग बीते फिर , बीते भोर ख्यालों में, बन पगली फिर फिरा करुं मैं , तपते हुए उजालों में । मैं बरखा बन-बन बरसुं, बन पतझर झर- झर जाऊँ रे, शीत ऋतु में तपुं आग सी, ग्रीष्म में ठंडक पाऊँ रे, करूँ कल्पना प्रेम की अब चाहे होगा […]

मातृभाषा डॉट कॉम लाया है आपके लिए आलेख लेखन प्रतियोगिता। विशेष आलेख लेखन प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है, जो एक खुला मंच है सभी बुद्धिजीवियों के लिए जिसमें हमारे भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों के बारे में आप आलेख लिखकर भेज सकते हैं, जिसका प्रकाशन मातृभाषा डॉट कॉम पर तो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।