शर्मसार हुई मानवता,ये कैसा कलयुग आया है, बेटियों पर मंडरा रहा ,हरपल डर का साया है। जब ,जहां, जैसे चाहा,बेटियों संग खिलवाड़ किया, करके बेआबरू उनको,इंसानियत को शर्मसार किया। कभी आपसी रंजिश में और कभी यूं ही दिल्लगी में, करके निर्वस्त्र मासूमों को, मिलकर दुष्टों ने नोंच लिया। कभी खेतों […]