मानव क्यों इतना अन्धा है, सब धर्मों के आसन पर ढोंगी पाखण्डी रख डाले, देवों के सिंहासन पर l चोर,उचक्के,गुण्डे सब, धर्मों के ठेकेदार बने जैसे भूखे भेड़िए, बकरी के पहरेदार बने l जैसे कोई डाकू, सत्ता को हथियाता है जैसे जिलाधीश को सिपाही आंख दिखाता है l जैसे श्रीराम […]