धीरे-धीरे बीन बजा रे,देश हमारा सोया है। खा-पीकर कुछ मस्त पड़े हैं,काट रहे जो बोया है॥ कुछ आम को चूस रहे हैं,कुछ के हाथ बबूल लगा। जो जितने हैं भ्रष्ट सयाने,उनका उतना भाग्य जगा॥ सत्यमेव जयते भ्रम है ये,लट्ठमेव जयते से हारा। जो जितना ऊपर से उजला,अंदर से उतना ही […]