जीते जी सम्मान करो अपने बड़ो से प्यार करो जो पसन्द हो वही खिलाओ जीवन उनका सुगम बनाओ एकाकी उन्हें न रहने दो खुशियों के हर पल जीने दो दुआएं निकलेगी उनके मुख से भाग्य चमकेगा तुम्हारा कसम से बच्चों की तरह बड़ो को संभालो अपने बचपन का कर्ज उतारो […]

जापान में हिंदी एक कैरियर के रूप में देखी जाती है।जापान की युवा पीढ़ी दुनिया के सबसे बड़े बाजार भारत मे व्यापार के लिए हिंदी सीखने को जरूरी मानते है।तभी जापान में हिंदी सीखने का क्रेज इतना अधिक है कि प्रायः हर विश्वविद्यालय व कालेज में हिंदी विभाग खुल गया […]

विदेशो में हिंदी गूंज रही भारत मे अस्तित्व ढूंढ रही संसद तक मे विरोध हो रहा देश मे यह क्या हो रहा हिंदी पर कानून ले आओ राष्ट्रभाषा हिन्दी को बनाओ ग्यारहवीं सदी में जन्मी हिंदी सिंधु किनारे पनपी थी हिंदी करोड़ो लोगो की मात्रभाषा है करोड़ो के दिलो की […]

चार करोड़ बेरोजगारी बढ़ी अर्थ व्यवस्था ओंधे मुहं गिरी बाजार में भी ग्राहक नही उपलब्धि लायक बात नही किसान आंदोलन कर रहा फ़सल के दाम को तरस रहा बहु बेटियां सुरक्षित नही बिना घूस कुछ मुमकिन नही वे गाल बजाने में व्यस्त है आम जनता बेचारी त्रस्त है भयमुक्त समाज […]

यूँ तो हिंदी को सिर्फ भारत की भाषा नही कह सकते।हिंदी भाषा मे अ, आ,इ, ई,ओ,उ,में जो स्वर गूंजते है वही स्वर नवजात शिशु के रुदन से प्रकट होते है।चूंकि दुनिया के सभी शिशुओं के रुदन ध्वनि एक ही प्रकार की है।इसलिए कह सकते है कि हिंदी हर मानव प्राणी […]

शिक्षक की गरिमा बड़ी बड़े है शिक्षक के काम जगत को बौद्धिक बनाता राष्ट्रहित का हो निर्माण अनुकरणीय जीवन इनका भविष्य ये बनाते सबका सम्भलकर इन्हें चलना चाहिए गलत काम न करना चाहिए आदर्श बनकर रहे समाज मे ज्ञान खूब बांटे समाज मे गोविंद से पहले पूजे जाओगे गोविंद कृपा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।