दोहा गागर में भरता सागर है- प्रभु त्रिवेदी
इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर के साप्ताहिक कार्यक्रम ’सृजन विविधा’ में रचनाकारों के रचनापाठ के साथ साथ दोहा कार्यशाला भी आयोजित की गई सुप्रसिद्ध दोहाकार प्रभु त्रिवेदी ने उपस्थित रचनाकारों को दोहा लेखन के गुर बताएं। उन्होंने दोहा छंद के विधान के साथ गुण दोष पर चर्चा की।
कार्यक्रम संयोजक व समिति की साहित्य मंत्री डॉ. पद्मा सिंह ने स्वागत उदबोधन में सृजन विविधा के अनुप्रयोगों से अवगत करवाया। कार्यक्रम संचालन डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने किया।
दूसरे सत्र काव्य पाठ में संतोष त्रिपाठी ने ममता के आंचल में कुछ दिन तो दुलरा लो माँ गीत सुनाया फिर दिलीप नेमा ने सृजन विविधा पर कविता सुनाई वहीं डॉ. मनीष दवे ने पापा हर वक्त अपने बच्चों का हित सोचते सुनाकर पिता दिवस पर भाव व्यक्त किए। जितेंद्र मानव ने सृष्टि में आना जाना कविता सुनाकर आनंदित किया वही सुब्रतो बॉस ने अपनी ग़ज़ल इश्क़ बस नाम है जमाने में का सस्वर पाठ किया।
शीला चंदन ने समसामयिक रचना सुनाई। साथ ही डॉ. अखिलेश राव, किशोर यादव, चक्षु जैन ने कविता सुनाई।
अंत में आभार समिति के प्रधानमंत्री अरविन्द जवलेकर ने व्यक्त किया। इस अवसर पर अनिल भोजे, उमेश पारेख, घनश्याम यादव, सदाशिव कौतुक, प्रदीप नवीन, अमर सिंह मानवत, संजय बैसाखिया, मयंक अग्रवाल, रमेश प्रसाद डांगीवाल, नमिता दुबे, डॉ. आरती दुबे, ज्योति यादव, राजेन्द्र पाण्डेय, एल. एन उग्र आदि सुधीजन उपस्थित रहे।