भक्ति में अंध श्रद्धा करते प्रार्थना करते हम अनूठी खुद को मूर्ख,खल,कामी कहते बात भले ही हो सब झूठी परमात्मा की सन्तान है हम गलत कैसे हो सकते है हम गलती अगर हो गई हमसे प्रायश्चित करे हम उसका छोड़ दे सब बदी बुराई सदाचरण करे जीवन का स्वयं को […]
काव्यभाषा
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