कैसे हटेंगें ? कपट के गहने, तन पे सजी संस्कारों की वो मिट्टी गीली है अभी तक॥ छल-फरेब संविधान बदले क्यों बंधी है ? न्याय तुला की आंख में पट्टी अभी तक ? जातिवाद से नफरत फैली है, पूरे देश में घृणा की राजनीति छाई क्यों अभी तक ? […]

‘रिश्ते’ भी ‘रिसते’ हैं, ज्यों पुराने दर्द पुरवैया में टिसते हैं। और तब…उद्वेलित मन में, सागर तरंग-सा अनवरत विगत अनुकूलता के क्षण विवेचनात्मक चिन्तन के भँवर बीच उठते और गिरते हैं॥ प्रचलन से हटे हुए नोट-सा, हारे हुए नेता को किसी वर्ग विशेष का अधिक प्रतिशत प्राप्त वोट-सा, रिश्ता…निरर्थक  हो […]

बूँद बने कब मोती…मुक्ता..कब गज भाल सजा ले, कब कोई क्या खो दे जग में..कब कोई क्या पा ले। प्रभु जी…तेरे  खेल  निराले…॥ कब हो जाए…रंगभवन में..दुख का  करुणित क्रंदन, कब जल जाए शव के संग-संग…पावन सुरभित चंदन। कब माया छलिया बन जाए…कब वह भाग्य संभाले, प्रभु जी…तेरे खेल निराले…॥ […]

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कब्र से उठ के उसने पुकारा मुझे, कुछ नहीं चाहिए अब तुम्हारा मुझे। मुझको दरिया की कोई जरूरत नहीं, छोड़ दो हो सके तो किनारा मुझे। अपनी रक्षा में गर हाथ मेरा उठा, दोष मत दीजिएगा दोबारा मुझे। अन्न से भेंट दिनभर नहीं हो सकी, ऐसा बाँधे रहा भाईचारा मुझे। […]

नहीं फूटता गुस्सा, नहीं उबलता लावा भावना उड़ गई है, सिगरेट के धुएं में भूख,डकैती,हत्या की घटनाएं, बेईमानी के कालम दुष्कर्म के स्तंभ पढ़कर-देखकर भी, दिल के किसी कोने का स्थाई भाव जागृत नहीं होता। सीमा पर लड़ते जवान, कर्ज तले दबे किसान और नक्सली हमले, रोज भावुक कर देते […]

(इंदौर की दर्दनाक दुर्घटना पर अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि) आँधी छलती है रोज़ हवा को, मृत्यु छल करती है जीवन से… हमने भी छल किया है खुद से, आज दूर किया जो मासूमों को… ढोंग पीटती ये सब विरह वेदना, छिप जाती है अव्यवस्थाओं में… अजगर की भांति वन में रेंगना, तंत्र […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।