nir मौत ने भी अपने रास्ते बदल डाले, मैं जिधर चला उसने कदम वहाँ डाले। जब – जब लगा मेरे जख्म भरने लगे, पुराने वक्त की यादों ने फिर खुरच डाले। मैं बहुत परेशान था पैरो के छालों से, मंजिल ने फिर भी रास्ते बदल डाले। रौशनी झरोखों से भी […]
अग्नि ,मधु विधा ,सामोपासना,प्राणोपासना के द्वारा अतिइन्द्रिय ग्राह्य को इन्द्रिय ग्राह्य बनाने की चेष्टा मानव के जीवन की सबसे बड़ी अभिलाषा रही है इसी कारण ब्रह्म की निराकारिता को खंडित किये बिना तादात्म्य स्थापित करने की गूढ आत्मीय चेतना का रहस्यमयी आभास रसानुभूति है! यह दशा मानवता की उच्चस्तरीय सीढ़ी […]
