इक शिकारा हो,किसी रेगिस्तान में मुझे सर्दी पसन्द है,उसे गर्मी…॥ इक बूंद-सा,ढूंढ ले वो मुझे समुंदर में, मुझे बरफ पसंद है,उसे पानी…॥ धुंए-सा पहचान ले,वो मुझे कोहरे में, मुझे ओस पंसद है,उसे ओस का पानी…॥ ऱज़ में पड़ा मिला,पाक़ पत्थऱ-सा मैं, मुझे प्यार पसंद है,उसे कुर्बानी …॥ शब्दकोश के अनन्त […]