मुझसे बोले एक सज्जन कि तुम रुक -रुक कर क्यों बोलते हो? क्या हकलाते हो? मैंने कहा – तुम भी कहो रुक-रुक कर, गर विरामों को जानते हो…. विरामों को जानना होता है, पहचानना होता है, उसकी तह में उतरना होता है फिर निकलना होता है। विरामों का ‘संप्रेषण’ नहीं […]