उम्र भर सवालों में उलझते रहे, स्नेह के स्पर्श को तरसते रहे फिर भी सुकूँ दे जाती हैं तन्हाईयाँ आख़िर किश्तोंमें हँसते रहे आँखों में मौजूद शर्म से पानी, बेमतलब घर से निकलते रहे दफ़्तर से लौटते लगता है डर यूँ ही कहीं बे-रब्त टहलते रहे ख़ाली घर में बातें करतीं […]